“अगर प्रधानमंत्री कार्यालय ईमानदारी से काम करता तो आज हॉकी के “जादूगर” ध्यानचंद भारत रत्न पाने वाले देश पहले खिलाड़ी होते.” आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की मानें तो केंद्रीय खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय ने भारत रत्न के लिए क्रिकेट के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की जगह भारत को ओलंपिक में तीन स्वर्ण पदक जिताने वाले मेजर ध्यानचंद सिंह के नाम की सिफारिश की थी, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने ध्यानचंद को नजरअंदाज करके सचिन के नाम पर मुहर लगाई. वैसे ऐसी क्या वजह हो सकती है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने भारत रत्न के लिए हॉकी के “जादूगर” को छोड़कर मास्टर ब्लास्टर के नाम पर ठप्पा लगाया. 1. राजनैतिक वजह: चुनावी माहौल को देखते हुए राजनीतिक पार्टियां जनमानस से जुड़े मुद्दे को अपने पक्ष में करके राजनैतिक समर्थन हासिल करने के फिराक में हैं. इस मामले में कांग्रेस भी पीछे दिखाई नहीं दे रही है. ऐसे में अगर सचिन का मुद्दा सामने खड़ा हो तो इसे कैसे छोड़ा जा सकता है. कांग्रेस ने देश का मूड भांपा और इस मुद्दे को लपकते हुए सचिन को भारत रत्न देने में देरी नहीं की. 2. कॉर्पोरेट चेहरे: इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि सचिन बाजार और कॉर्पोरेट के बहुत ही बड़े चेहरे हैं. यह बात सर्वे ने भी साबित किया है. अगर सचिन को भारत रत्न मिलता है तो इससे उन बड़ी कंपनियों को फायदा मिलेगा जिनके लिए सचिन विज्ञापन करते हैं, लेकिन अगर ध्यानचंद को खेल रत्न मिलता तो इससे शायद प्रेरकशक्ति के रूप में भरतीय हॉकी को ही फायदा मिलता. 3. मीडिया का सचिन के प्रति लामबंद होना: जब से खेल के क्षेत्र में भारत रत्न दिए जाने की बात छिड़ी है तब से सचिन के समर्थन में मीडिया लामबंद होती दिखाई दी है. मीडिया ने सचिन के मुकाबले ध्यानचंद की उपलब्धियों और रिकॉर्ड के बारे में कम चर्चा की, जिससे लोगों को सचिन के ही रिकॉर्ड बड़े लगने लगे. 4. मुकेश अंबानी का हाथ: ऐसी खबर भी आ रही है कि देश के कुछ बड़े उद्योगपतियों ने सचिन को भारत रत्न देने के लिए सरकार पर दबाव बनाया है. उनमें मुकेश अंबानी का नाम सबसे आगे लिया जा रहा है. यह कौन नहीं जानता कि यूपीए सरकार में मुकेश अंबानी का क्या रुतबा है. कई खुलासों ने यह बताया है कि मुकेश अंबानी के प्रभाव के चलते कई बार सरकार को घुटने टेकने पड़े हैं. ऐसे में सचिन जो आईपीएल में मुंबई इंडियन्स (मुंबई इंडियन्स के मालकिन मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी हैं) के साथ लगातार जुड़े रहे और मुकेश अंबानी के कई पार्टियों में पारिवारिक रूप से भाग लेते रहे हैं उन्हें कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है.