कहा जाता है कि डेरा प्रमुख के खिलाफ अपने अभियान के चलते ही रामचंद्र छत्रपति को 2002 में गोलियों से भून दिया गया था

पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को गुरमीत सिंह राम रहीम को 20 साल जेल की सजा सुनाई है. राजनीतिक रूप से काफी मजबूत समझे जाने वाले डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख को यह सजा अपनी दो शिष्याओं के साथ बलात्कार के मामले में सुनाई गई है. उन पर 30 लाख रु का जुर्माना भी लगाया गया है.

2002 से शुरू हुए इस हाई प्रोफाइल मामले के दौरान पीड़िताओं और उनके परिवार को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. उनका साथ देने वालों को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ी. इनमें से एक थे रामचंद्र छत्रपति. कहा जाता है कि इस मामले को उठाने के लिए ही उन्हें 2002 में गोलियों से भून दिया गया. रामचंद्र छत्रपति अब इस दुनिया में नहीं हैं. गोलियों के जख्म से चार हफ्ते तक जूझने के बाद 21 नवंबर, 2002 को उनकी मौत हो गई थी. वे हरियाणा के सिरसा से ‘पूरा सच’ नाम का सांध्य दैनिक निकाला करते थे. इसी अखबार के 30 मई, 2002 के अंक में उन्होंने डेरा सच्चा सौदा के मुखिया गुरमीत सिंह राम रहीम पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की के उस पत्र को पहली बार छापा था. यह वही पत्र था जिसे पीड़िता ने न्याय की गुहार लगाते हुए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा था. इसी खुलासे के बाद रामचंद्र छत्रपति की हत्या हो गई थी. आरोप है कि उनकी हत्या राम रहीम के गुंडों ने की. यह मामला अभी पंचकुला की उसी अदालत में लंबित है, जिसने गुरमीत सिंह को 20 साल की सजा सुनाई है….!