नई दिल्ली। 1 नवंबर। ब्यूरोकळऋ ऊी्रे>
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि चुनाव में प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानकारी प्राप्त करना मतदाताओं का मौलिक अधिकार है और इस बारे में कोई भी गलत घोषणा नामांकन पत्र अस्वीकार करने का आधार बन सकता है.
न्यायमूर्ति ए.आर. दवे और और न्यायमूर्ति एल. नागेश्‍वर राव ने एक फैसले में व्यवस्था दी, ”प्रत्याशी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानना प्रत्येक मतदाता का मौलिक अधिकार है. जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों और फार्म 26 में भी यह स्पष्ट है.” शीर्ष अदालत ने यह भी व्यवस्था दी कि यदि चुनाव में दो प्रत्याशी हैं और यह सिद्ध हो गया कि विजयी उम्मीदवार का नामांकन पत्र गलत तरीके से स्वीकार किया गया है तो चुनाव हारने वाले प्रत्याशी के लिए ऐसा साक्ष्य पेश करने की जरूरत नहीं है कि चुनाव वास्तव में प्रभावित हुआ है. अदालत ने मणिपुर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मैरेम्बम पृथ्वीराज उर्फ पृथ्वीराज सिंह और पुखरेम शरतचंद्र सिंह की एक-दूसरे के खिलाफ दायर अपील पर यह व्यवस्था दी. न्यायाधीशों ने हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए कहा कि इस तथ्य पर कोई विवाद नहीं है कि अपीलकर्ता ने मैसूर विश्‍वविद्यालय में एमबीए की पढ.ाई नहीं की थी और यह तर्क स्वीकार नहीं किया जा सकता कि यह ‘मानवीय त्रुटि’ थी. /कळऋ ऊी्रे> क्या है मामला
हाईकोर्ट ने मणिपुर में 2012 में मोयरंग विधानसभा क्षेत्र से राकांपा के टिकट पर चुनाव लड.नेवाले पृथ्वीराज का निर्वाचन निरस्त घोषित कर दिया था. आरोप लगाया गया था कि पृथ्वीराज ने अपने नामांकन पत्र में कहा था कि वह एमबीए हैं जो गलत पाया गया था.