जम्मू। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों की घाटी में ‘सम्मान और गरिमा’ के साथ वापसी की इच्छा जाहिर की। हालांकि ऐसे खोखले वादे वहां की पार्टियां करती रही है। महबूबा ने रविवार को कश्मीरी पंडित समुदाय के विस्थापित सदस्यों के साथ यहां हुई एक बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘कश्मीरी पंडित समुदाय ने अतीत में कश्मीरी समाज के उद्धार में महत्वपूर्ण योगदान किया है और यह सम्मान एवं गरिमा के साथ उनकी घर वापसी का वक्त है।’ जम्मू-कश्मीर में हाल ही में आई भीषण बाढ़ के बाबत महबूबा ने कहा, ‘कश्मीर ने एक बार फिर बड़े पैमाने पर तबाही झेली। हालांकि, इस बार यह कुदरत के कहर की वजह से हुआ, लेकिन इसने 1990 के दशक में हुई उन खौफनाक वारदातों से पैदा हुए मुश्किल हालात को बढ़ा दिया जिनकी वजह से बड़े पैमाने पर लोगों, खासकर कश्मीरी पंडितों, को अपना घरबार छोड़ना पड़ा था।’ गौरतलब है कि 1989 से पाकिस्तान द्वारा शुरु किए गए आतंकवाद के कारण हजारों कश्मीरी पंडितों का दोनों तरफ के कश्मीर में कत्लेआम किया गया। इस कत्लेआम के चलते कश्मीरी पंडित राज्य से पलायन कर गए। अब कश्मीर में एक भी पंडित परिवार नहीं रहता। 1990 में कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में बेरहमी से सताया गया। उनकी बेरहमी से हत्याएं की गई। उनकी स्त्रियों, बहनों और बेटियों के साथ दुष्कर्म किया गया। उनकी लड़कियों का जबरन निकाह मुस्लिम युवकों से कराया गया। यह अत्याचार कई वर्षो तक चला, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों ने कभी भी उन्हें सुरक्षा प्रदान करने में रूचि नहीं दिखाई। आज भी ये जम्मू और दिल्ली के शरणार्थी शिविरों में बदहाल अवस्था में रह रहे हैं, लेकिन सरकारें इनकी समस्याओं के समाधान के नाम पर चुप्पी साधे बैठी हैं।