The power flows  through barrel of the gun ………………….

Chandra Shekhar Azad………

Is there any resemblance ….

Most of us think yes, but actually its not .

He was Socialist  then a revolutionist

गुलाम देश में भी जीता था
जो बन आज़ादी का परवाज़
नहीं हुआ है, कभी ना होगा
कोई चंद्रशेखर सा आज़ाद।

सहनशीलता की पहचान
साहस का था दूजा नाम
माँ की आज़ादी के खातिर
सर्वस्व किया जिसने बलिदान।

जिसकी रग-रग में आज़ादी
बनकर खून बहा करती थी
जिसके ज़ज्बे और हिम्मत की
चर्चा चहूँओर हुआ करती थी।

गौरों को भी डर लगता था
जिसके क्रांति अभियान से
जन-जन में अलख जगाई जिसने
निज प्राणों के बलिदान से।

आज़ादी जिसको अपने
प्राणों से ज्यादा प्यारी थी
जिसने अपनी सारी खुशियाँ
माँ धरती पर वारी थी।

उस भारत माँ के वीर सपूत को
मेरा शत-शत अभिनन्दन
देश की माटी जिसके मस्तक
पर सजती थी बन चन्दन।