मुस्कराता वो चेहरा सुखदेव का गहरी निगाहें वो गुरु राज की वो इंकलाबी दीवानगी भगत की आखिर डूब गई जीवन की शाम गुमनाम वही शहादत की शाम जमकर रोया था आसमान तड़प रही थी धरती की शान हँसते हँसते लुटा गए जो अपनी जान नहीं मिला उन्हें अब तक पहचान उनकी शहादत की याद में खौल उठे लहू का सम्मान क्रांति सूर्य अब हुआ अवसान सत्ता का होता नित घमशान बना यह भारत दुखता शमशान जब तक रगों में अपनी जान जियेंगे हम शहादत की शाम ममता आज यह विवश है आज शहीद दिवस है ! शेर दिल जहाँ रहते शेर जवान अद्भुद जहाँ रहा युगों से विज्ञान खेतों में मुस्कराता हर किसान बन गएँ अब दर्द की दास्तान पूरी आजादी की मंजिल में बाकी रहा यह आधा मुकाम रो रहा भगत तुम्हारा हिन्दुस्तान तड़प रहा सुखदेव का स्वाभिमान नहीं रहा राज गुरु का निशान क्यों भूल गएँ आजादी का नाम जिन्दा हम बन गुलामी की शाम पूरा हुआ नहीं शहीदों का काम तुम डाल दो फांस आसमानों में लगा दो आग सत्ता के मकानों में तुम हो आखिर उन दीवानों में भारत आज विवश है भारत का महा पर्व है क्रांति सूर्य का उत्सर्ग है हमारा भटका हुआ फर्ज है देश का हम पर बड़ा कर्ज है गीरीबी में ममत्व मस्त है कल्पनाओ का सूरज अस्त है आज शहीद दिवस है ………………….