नईदिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) ने भारत में शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने की कवायद को जारी रखते हुए सत्र 2015-16 से देश के 400 विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर व्यवस्था लागू करने के लिए आदेश जारी किए हैं। अगर वर्तमान व्यवस्था की बात की जाए तो देश में ऐसे विश्वविद्यालय बहुत कम हैं जो ग्रेडिंग सिस्टम व सेमेस्टर प्रणाली को तरजीह दे रहे हैं। देश के अधिकतर विश्वविद्यालयों में वहीं पुराने पैटर्न(न्यूमेरिकल मार्किंग सिस्टम) के आधार पर परीक्षाएं करवाई जा रही हैं। देश के विश्वविद्यालयों की शिक्षा पद्धति में उन्नति लाने के लिए यूजीसी ने यह आदेश जारी किए हैं। इस नई व्यवस्था से स्टूडेंटस अपने विषयों की सहज रूप से तैयारी कर पाएंगे। नियामक संस्था ने विश्वविद्यालयों को विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली को लागू करने के साथ स्किल डेवलपमेंट के लिए क्रेडिट रूपरेखा को तैयार करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली के अंतर्गत स्टूडेंट्स तीन तरह के कोर्सेस ले सकेंगे जिसमें फाउंडेशन, इलेक्टिव और कोर शामिल होंगे। साथ ही स्टूडेंट्स को कोर सब्जेक्ट हर सेमेस्टर में लेने होंगे यह अनिवार्य होगा। साथ ही उन्हें हर सेमेस्टर एक सब्जेक्ट इलेक्टिव से रूप में चुनना होगा जो उनके विषयों से अलग होगा। इलेक्टिव में बहुत सारे विकल्प दिए जाएंगे। स्टूडेंट अपनी पसंद के आधार पर इलेक्टिव विषय चुन सकेंगे। स्टूडेंट को ग्रेड उनके द्वारा परीक्षाओं में अर्जित किए गए अंको के आधार पर दिए जाएंगे। ये रहेंगे ग्रेड- अंक ग्रेड 90.1 से 100 ओ (आउटस्टेंडिंग) 80.1 से 90 ए प्लस(एक्सीलेंट) 70.1 से 80 ए (वेरी गुड) 60.1 से 70 बी प्लस(गुड) 50.1 से 60 बी(एबव अवरेज) 50 से 55 सी(एवरेज) 40 से 50 पी (पास)