बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि जब हमारे साथ कोई भेदभाव करता है तो हमें बहुत बुरा लगता है, परन्तु जब हम खुद यही कर रहे होते हैं तब हम बिलकुल नही सोचते। उदाहरण के लिए, जब ठाकरे परिवार, उत्तर भारतीयों के लिए आक्रोश दिखाता हैं तो उत्तर प्रदेश व् बिहार के वासियों को बुरा लगता है, परन्तु जब बिहार के लोग उत्तर प्रदेश आते हैं तो उनके साथ भी कुछ उसी तरह का व्यव्हार किया जाता है। खैर ये तो फिर भी कम है परन्तु ताज़ा मामला नागालैंड, सिक्किम वगैरह से आये लोगो के साथ हो रही हिंसा है। शर्मनाक ये है कि वो कहते हैं हम भारतीय हैं फिर हमारे साथ भेदभाव क्यूँ, पर हम उन्हें अपनाने को तैयार नहीं। दूसरी तरफ कश्मीर वाले अलग होना चाहते है , और हम कहते है नहीं तुम हमारा हिस्सा हो। शायद उत्तरी पूर्वी भारतियों को अपनाने के लिए आप उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जब वो खुद चीन या नेपाल में मिल जाने की मांग करेंगे।