लाल पीली बत्तियों में सत्य दिखाई नहीं देता. बैठ कर दिल्ली से साहब भारत दिखाई नहीं देता. सीढियां चढ़ गये ऊपर बहोत अब नीचे देखने से, आदमी अच्छा ख़ासा, आदमी दिखाई नहीं देता. कोई मर जाए पड़ोस में पड़ोसी को खबर ही नहीं, राब्ता पड़ोसी का पडोसी से दिखाई नहीं देता. भूख, पेट की आती है देश और धर्म से पहले, आदमी भूखा हो तो भविष्य दिखाई नहीं देता. लाभ अपना, सुख अपना, अपनी अपनी खोल में बंद, जिन्दा आदमी भी अब जिन्दा दिखाई नहीं देता..