नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को तहलका के संस्थापक संपादक तरुण तेजपाल से संबंधित कथित यौन उत्पीड़न के मामले में निचली अदालत में सुनवाई पर तीन सप्ताह तक रोक लगा दी और अभियोजन पक्ष से उन्हें दस्तावेज प्रदान करने को कहा। प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की पीठ ने हालांकि इस तथ्य को लेकर नाखुशी जाहिर की कि निचली अदालत की कार्यवाही रूक गई है और तेजपाल के वकील से कहा कि वह इसमें और विलंब नहीं करें और मामले में आरोपों को तय करने पर दलीलें देना शुरू करें। तेजपाल की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जब सभी प्रासंगिक दस्तावेज नहीं देने के लिए अभियोजन पक्ष पर दोषारोपण किया तो पीठ ने कहा, ‘कृपया उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर आरोप तय करने पर दलील दें। पिछले आठ महीने में आरोप तक तय नहीं हो पाए हैं। पहले की कार्यवाही का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि यह कहा गया था कि मुकदमे की सुनवाई बाधित नहीं होगी। न्यायालय ने कहा कि इस तरह के मामले में जमानत देते वक्त हमें थोड़ा अधिक सतर्क होना चाहिए। न्यायालय ने इससे पहले तेजपाल को इस मामले में जमानत दी थी। इससे पहले, तेजपाल ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाकर गोवा की एक सत्र अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें कथित तौर पर जरूरी दस्तावेज प्रदान किए बिना उनके खिलाफ आरोप पर दलील शुरू करने को कहा गया था। तेजपाल के खिलाफ नवंबर 2013 में गोवा के एक होटल में एक कार्यक्रम के दौरान कनिष्ठ सहयोगी से कथित तौर पर बलात्कार करने, यौन उत्पीड़न करने और शील भंग करने के मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था।